Crime Files की आज की कहानी में आपको एक गांव की कहानी बताने जा रहा हूँ की कैसे
छोटी सी बात से शुरू हुई लड़ाई कब गांव के
दो पक्षों की आपस में बीच में दुश्मनी
पैदा हो जाती है पता ही नहीं चलता. एक पक्ष
के कई लोगों का कत्ल हो जाता है तो दूसरे
पक्ष के लोग या तो जेल में थे या फिर वह
फरार चल रहे थे. उनके घर की महिलाएं घर पर
थी तब एक पक्ष के लोगों के अंदर क्या
हैवानियत जागती है कि वह उनके घर जाते हैं
उनके घर की जो महिलाएं होती हैं उन
महिलाओं को वह निर्वस्त्र कर देते हैं.
निर्वस्त्र करने की कहानी जब गांव में गूंजती
है आसपास के लोगों तक पहुंचती है तो लोगों
को बड़ी हैरानी होती है इसके बाद फिर से
कत्ल की शुरुआत होती है. अभी तक तो तीन ही
कत्ल हुए थे लेकिन इसके बाद एक के बाद एक
10 कत्ल हो जाते हैं और इन कतलों से कई
परिवार पूरी तरह से तबाह हो जाते हैं पहले
ये लड़ाई लड़ी गई थी गैर कानूनी रूप से और
बाद में फिर ये लड़ाई आज भी कानूनी रूप से
लड़ी जा रही है और मामला कोर्ट
में विचाराधीन चल रहा है जब इस घटना का
जब इस गांव का जिक्र आता है तो इस
गांव के लोग सहम जाते हैं यह सोचकर कि
छोटी सी लड़ाई आखिरकार इतना बड़ा रूप कैसे
ले सकती है .आज की जो सच्ची घटना
मैं आपको सुनाने जा रहा हूं ये सच्ची घटना
है हरियाणा प्रदेश का एक जिला है फरीदाबाद
और फरीदाबाद का ही एक गांव लगता है बुढ
हैना दरअसल ये बुढ हैना की सच्ची घटना है
बात कर रहा हूं साल 1995 एक बारात आने
वाली थी और पुरानी जो बारात आई थी उन
बारातों को लेकर पुराना एक्सपीरियंस बहुत
अच्छा नहीं था तब गांव का ही वो व्यक्ति
जो दलित समाज से था वो जाता है एक
जिम्मेदार आदमी के पास जिसका नाम रिसाला
सिंह होता है जाकर हाथ पैर जोड़ता है कहता
है कि साहब मेरी बेटी की बारात आएगी बस
मैं कोई किसी तरह का विवाद नहीं चाहता आप
हमारी मदद कर दीजिए जैसे ही उसने रिसाला
सिंह के सामने हाथ जोड़कर यह विनती की
रिशाला सिंह ने कहा कि तुम्हारी बेटी
हमारी बेटी है इसलिए तुम्हें डरने की
घबराने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है जितना
भी हो सकेगा हम तुम्हारी मदद करेंगे और
गांव में किसी की हिम्मत नहीं जो तुम्हारी
तरफ को आंख उठाकर भी देखे वो तारीख जो थी
उस तारीख पर बारात आती है और जब बारात आती
है तो बारात चढ़ने की जब तैयारी चल रही थी
किसी ने आकर रिसाला सिंह को खबर दी कि
उनकी बारात आ चुकी है आप इसमें मदद कर
दीजिए रिसाला सिंह ने अपने दो पोते एक का
नाम राजू होता है दूसरे का नाम नरेश होता
है उनसे कहा जाता है कि तुम बारात के तब
तक साथ रहोगे जब तक बारात की पूरी तरह
से चढ़त नहीं हो जाती इसलिए सब कुछ सकुशल
वापस लौट कर आना सब कुछ ठीक-ठाक करा के
आना. बारात चढ़ने शुरू हो जाती है इस
मोहल्ले से उस मोहल्ले जब चढ़ रही थी.
बारात चढ़ते चढ़ते जो बाराती आए थे वो
अपना नाच रहे थे गा रहे थे खुशी के गीत गा
रहे थे सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था. कोई
नहीं जानता था कि एक घर रंजीत सिंह का
के जब घर पड़ता है तो किसी ने वहां से उन
बारातियों के ऊपर पानी फेंक दिया जैसे ही
पानी फेंका तो उसमें शोर मच जाता है चीख
पुकार मच जाती है कि पानी फेंका गया है
इसी बात को देखते हुए राजू और नरेश खड़े
होते हैं कहते हैं कि इस बारात के साथ हम
लोग हैं और यहां किसी भी तरह की कोई विवाद
नहीं होना चाहिए यदि विवाद होगा तो बात
आगे बढ़ सकती है उस वक्त तो हाथ पैर
जोड़कर किसी तरह से इस विवाद को खत्म कर
लिया गया शांत कर लिया गया क्योंकि बेटी
की बारात आई हुई थी थी कोई नहीं चाहता था
कि किसी भी तरह का कोई झगड़ा हो वो बारात
आती है और आने के बाद चली जाती है
लेकिन दो परिवार एक का एक परिवार एक पक्ष
होता है .रिसाला सिंह और दूसरा पक्ष होता
है रंजीत सिंह इन दोनों के बीच में
रस्सा कसी सी मच जाती है मूछों की लड़ाई
शुरू हो जाती है मूछों की लड़ाई जब शुरू
होती है तो पहला मौका मिलता है
रंजीत को और रिसाला सिंह का जो बेटा
होता है जिसका नाम हरपाल सिंह होता है
हरपाल सिंह को पकड़ लिया जाता है और
पकड़ने के बाद उसको बहुत बुरी तरह से पीटा
जाता है हाथ भी तोड़ दिए जाते हैं और पैर
भी तोड़ दि जाते हैं हाथ पैर तोड़कर उसको
घर बैठा दिया जाता है व इस घर में इस बात
को लेकर बड़ा उबाल था. अब यह किसी तरह की
कोई बात ना बने आगे कुछ भी इस तरह से लड़ाई न हो यह एक
घबराहट सी मची रहती थी रंजीत के
परिवार में कहीं ऐसा ना हो कि हरपाल सिंह
के जो हाथ पैर तोड़े हैं इसका बदला लिया
जाए इसलिए सतर्क रहना है और धीरे-धीरे
करके कब एक साल बीत जाता है किसी को पता
ही नहीं चलता रंजीत का परिवार एकएक
कदम फूक फूंक कर रख रहा था खेड़ी के पुल
के पास रिसाला के परिवार का एक व्यक्ति
होता है जिसका नाम सतवीर होता है .
सतवीर मिल जाता है और सतवीर को इतना मारा
जाता है पीटा जाता है की वो बेहोश हो जाता है
जब ज्यादा ही मारा पीटा जाता है तो उसको फिर हॉस्पिटल में
भर्ती कराना पड़ता है पता चलता है कि
सतवीर सिंह की मौत हो चुकी है अब इस मूछों
की लड़ाई से कहानी शुरू होती है हाँथ पैर की
पहले हाथ पैर तोड़े जाते हैं
एक व्यक्ति के जिसका नाम हरपाल होता है और दूसरा यह जो कहानी
आगे बढ़ती है तो पहला कत्ल हो जाता है
सतवीर का जो रिसाला सिंह के परिवार का लगता है .
अभ इस घटना में जो ये राजू और समय पाल ये
गवाह बना दिए जाते हैं कि इस घटनाक्रम को
हमने देखा है जिस तरह के आप जानते हैं जिस
तरह के थाने में तो तहरीर दी जाती है और
केस को पुख्ता करने के लिए मजबूत करने के
लिए गवाहों की जरूरत पड़ती है रिसाला सिंह
के परिवार के एक तो उनका पोता होता है राजू .
दूसरा समय पाल होता है यह गवाह होते हैं और इनमें मुकदमा दर्ज होता है दूसरे
पार्टी के रंजीत मुकेश जयप्रकाश और
प्रमोद इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली जाती
है पुलिस पीछे पड़ती है गिरफ्तारी शुरू हो
जाती हैं और इधर से उधर आप जानते हैं कि
किस तरह से पुलिस अपना काम करती है पहले
हत्याकांड के बाद धीरे-धीरे करके 2 साल का
समय बीत जाता है साल 1998 आता है और
रंजीत के परिवार वालों को एक बार फिर
से मौका मिल जाता है.
नरेश की चाकू घूप कर हत्या कर दी जाती है और जब हत्या होती है
तो इस परिवार में और भी तनाव की स्थिति
पैदा हो जाती है और नरेश हत्याकांड में
गवा बनता है राजू
राजू वही होता है जो की नरेश क साथ बरात की रखवाली करने गया था
ये नरेश तो मर चुका है लेकिन राजू जब गवाह बन जाता है तो
रंजीत के परिवार वाले उस राजू के भी
पीछे लग जाते हैं और इसी साल यानि की साल
1998 में उन्हें मौका मिल जाता है और ओल्ड
फरीदाबाद के पास राजीव चौक के निकट गोली
मारकर राजू की भी हत्या कर दी जाती है
यानी कि एक पक्ष से अभी सबसे पहली शुरुआत
होती है हरपाल के हाथ और पैर तोड़ दिए
जाते हैं साथ ही उनके जो परिवार के बाकी
लोग थे जिसमें सतवीर नरेश और राजू इन तीन
की हत्या कर दी जाती है इधर से जो एफआईआर
दर्ज होती है वह मुकेश रंजीत प्रमोद
वीर सिंह जयप्रकाश सतीश और दिनेश के खिलाफ
एफआईआर दर्ज कराई जाती है और जब एफआईआर
दर्ज होती है तब पता चलता है कि जो वीर
सिंह है वह रंजीत का भाई है और
हरियाणा पुलिस में हवालदार होता है
गांव में अब तनावपूर्ण स्थिति रहने लगती है लोग
डरने लगते हैं कि एक पक्ष के पास जाकर
बैठे या दूसरे पक्ष के पास जाकर बैठे इस
बीच में जो शादी विवाह होते थे तो लोग
डरते थे घबराते थे कहीं ऐसा ना हो एक पक्ष
को बुलाएं तो दूसरा नाराज ना हो जाए दूसरे
को बुलाएं तो पहला नाराज ना हो जाए कहीं
ऐसा ना हो कि हमारे घर में भी ये आग फैल
जाए धीरे-धीरे करके ऐसे वक्त आगे बढ़
रहा था और इसी वक्त के बीच में या तो
रंजीत के परिवार के कुछ लोग फरार चल
रहे थे या फिर वो सलाखों के पीछे थे लेकिन
इसी बीच में मौका मिलता है रिसाल सिंह के
परिवार के कुछ लोगों को उन्होंने जाकर
रंजीत के परिवार की कुछ महिलाएं जो घर
पर मौजूद थी ऐसा बताया जाता है कि उनके
परिवार की महिलाओं को निर्वस्त्र कर दिया
गया था उनका चीर कर दिया गया था और इस बात
से रंजीत का परिवार बहुत दुखी हो जाता है परेशान हो जाता है और इसी बीच में मौका
मिलता है रिसाल सिंह के परिवार वालों को
और रंजीत का जो भाई होता है जिसका नाम
जीतन होता है उसकी हत्या कर दी जाती है अब
एक तरफ जो ब्रह्मपाल रंजीत का जो
परिवार था वो भी सलाखों के पीछे पहुंच
जाता है और जीतन की हत्या होने के बाद जो
पहला पक्ष है हरपाल सिंह उसके भी
परिवार के लोग जेल में पहुंच जाते हैं अब
दोनों ही पहला पक्ष भी और दूसरा पक्ष भी
यानी कि रिशाल सिंह के परिवार के लोग भी
सलाखों के पीछे पहुंच जाते हैं और
रंजीत के परिवार भी सलाखों के पीछे
पहुंच जाते हैं अब यहां आपस में मिलना
जुलना ये सब होता रहता था जब आपस में एक
दूसरे को देखते थे बातचीत करते थे तब
इन्होंने एक प्लान बनाया ऐसा प्लान कि जो
भी हमारे बीच में हुआ है उस बारात चढ़ने
से लेकर अब तक इस चीज को भुलाने की कोशिश
की जाए क्योंकि यह लड़ाई का मुंह हमेशा
आसमान की तरफ होता है और लड़ाई को चाहे तो
खत्म कर सकते हैं और ना खत्म की जाए तो वो
कितनी भी लंबी जा सकती है जेल में
बैठे-बैठे यह प्लानिंग करते हैं कि हम इस
लड़ाई को यहीं खत्म कर देते हैं उसके बाद में इनमें आपस
में कुछ सहमति बन जाती है धीरे-धीरे करके
इनके लोगों को जमानत मिलनी शुरू हो जाती
है पहले पक्ष के लोगों को भी और दूसरे
पक्ष के लोगों को भी
दूसरे पक्ष यानी कि रंजीत के जो परिवार के लोग होते हैं
यह लोग एक दिल में कसक अपने पाले बैठे
थे क्योंकि उन्हें बाद में पता चलता है कि
जब सलाखों के पीछे होते हैं तो उनकी
परिवार की महिलाओं को निर्वस्त्र करा गया था
उनको यह आग लगी हुई थी कि जब भी मौका मिलेगा तब इस बात का बदला
जरूर लिया जाएगा और 20 दिसंबर 1999 को
आखिरकार उन्होंने एक प्लान बनाया और
प्लान करने के बाद एक पक्ष के यानि हरपाल के जो कि
रिसाला के बेटे होते हैं साथ ही समपाल
दिनेश जो कि हरपाल का बेटा होता है और
राजू कुल मिला के चार लोग होते हैं इन चार
लोगों को धोखे से फरीदाबाद के सेक्टर 16
में बुलाया जाता है और बुलाने के बाद इनकी
सामूहिक रूप से हत्या कर दी जाती है इस
चौरे हत्याकांड ने पूरे हरियाणा प्रदेश को
हिलाकर रख दिया था हिलाने वाली बात यह भी
थी क्योंकि इन्हें एक साथ एक ही जगह पर
टायरों से जलाकर उनके राख कर दिया था खाक
कर दिया था कोई सबूत भी नहीं छोड़ा था ऐसा
बताया जाता है अब यहां से रिसाल सिंह ने
इस मामले में एफआईआर दर्ज करवाते हैं और
इस केस के गवाह बनते हैं और यह रंजीत
सिंह समेत 15 लोगों पर एफआईआर दर्ज की जाती है
ये 20 दिसंबर 1999 का ये उस इलाके
का नहीं बल्कि कई प्रदेशों का बड़ा चर्चित
मामला रहा था कि किस तरह से चार लोगों की
इस तरह से निर्मम हत्या कर दी जाती है और
इस हत्याकांड की जांच आती है SSP रणवीर
शर्मा करते हैं साथ ही DSP इंद्रजीत
सिंह सैनी इनकी देखरेख में यह जांच पड़ताल
होती है और जांच पड़ताल में वह कोई भी ऐसा
मौका नहीं चाहते थे कि इसमें किसी भी
अपराधी को कोई भी आरोपी बच सके अब इस चौरे
हत्याकांड का जो मुख्य गवाह होते हैं वह
होते हैं रिशाल सिंह और रिशाल सिंह एक बार
14 अप्रैल 2002 की सुबह की बात है खेड़ी
के पास शायद अपने प्लट की तरफ गए हुए थे
और उनकी किसी ने गोली मारकर हत्या कर दी
यानी कि चौरे हत्याकांड का एक मात्र जो
चश्मदीद होता है वो भी इस घटना कांड में
मारा जाता है ये अब तक अगर हम बात करें
चार लोगों को एक साथ मार दिया गया था
देखा जाए तो नौ लोगों की हत्याएं कर दी
जाती हैं एक तरफ से और दूसरे
तरफ से आठ लोग होते हैं चार एक बार में
मार दिए जाते हैं और बाकी एक-एक करके चार
वैसे मार दिए जाते हैं कुल मिला के जब नौ
लोगों की हत्याएं हो जा जाती हैं तो जब
रिसाल सिंह की हत्या होती है तो इस
हत्याकांड में गवाह बनता है सतीश
और साथ ही चचेरा भाई गोपी इनको गवाह
बना दिया जाता है निचली अदालत में मामला
पहुंचता है और निचली अदालत में मामला
पहुंचने के बाद 21 अगस्त 2004 को निचली
अदालत पांच लोगों को क्योंकि यह 15 लोगों
के खिलाफ एफआईआर दर्ज थी इसमें पांच लोगों
पर को फांसी की सजा सुनाई जाती है साथ ही
10 लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई जाती
है अब ये उच्च अदालत में यानी कि हाई
कोर्ट में अपील की जाती है हाई कोर्ट ने
जब इस केस की सुनवाई की सुनवाई करने के
बाद उन्होंने कहा कि इस मामले को निचली
अदालत को फिर से सुनना चाहिए और हम इन्हें
लगभग 6 महीने का समय देते हैं 6 महीने तक
वह अपने इस मामले की जांच फिर से जांच
पड़ताल कराएं कुछ भी कराएं लेकिन इसकी फिर
से पुनः सुनवाई होनी चाहिए फिर से पुनः
सुनवाई होती है और यह पहली जो सुनवाई होती
है 21 अगस्त 2004 को.
धीरे-धीरे करके जो छ महीने का समय दिया गया था वो समय ऐसा आगे
बढ़ता है कि 17 नवंबर 2013 आ जाता है और
पता चलता है कि पुनः सुनवाई के दौरान सबको
बाइज्जत बरी कर दिया जाता है क्योंकि
पुलिस ऐसे कोई सबूत नहीं जुटा पाए थे
जिससे कि अदालत के सामने रख सकते थे कि
चौरे हत्याकांड में इस तरह के मामला में
इस तरह की कार्रवाई हुई है जब ये बाइज्जत
बरी हो जाते हैं तो यह मामला हाई कोर्ट
में चला जाता है इधर यह मामला हाई कोर्ट
में चला जाता है और पुलिस जो लगातार ये
हवालदार होता है वीर सिंह बताया जाता है
कि वो मिल ही नहीं रहा था उसको ढूंढने की
कोशिश की जा रही थी और यह मामला हाई कोर्ट
में चला जाता है हाई कोर्ट में सुनवाई
होने लगती है एक पक्ष दूसरे पक्ष के खिलाफ
लगातार कोशिश कर रहा था क्योंकि चार लोगों
की एक साथ जो हत्या हुई थी और बाद में
उनके शवों को जला दिया गया था इस पूरी
कहानी का जो मुख्य आरोपी था रंजीत
होता है रंजीत बताया जाता है कि
फरीदाबाद के सेक्टर 11 यह मिलन वाटिका
होती है वहां पर एक जगह खड़ा हुआ होता है
एक लाल रंग की कार आती है उस
कार में ये 27 फरवरी 2018 को उस
कार में बैठता है और बैठने के बाद गायब हो
जाता है जैसे वो गायब होता है उसके परिवार
वालों ने हर जगह ढूंढने की कोशिश की तलाश
करने की कोशिश की लेकिन मिलता नहीं है कि
कहीं से मुखबीर के माध्यम से सूचना मिलती
है 24 मार्च 2018 को कि रंजीत का जो
जो लाश है वह हरियाणा के पलवल के एक फार्म
हाउस के अंदर लगभग 10 फुट गहरे गड्ढे के
अंदर दबा हुआ है जैसे पुलिस को सूचना
मिलती है पुलिस मौके पर जाती है उस गड्ढे
को खुदवा है वो रंजीत जिसकी वजह से
जिसकी हट धर्मी की वजह से अब तक एक तरफ के
लगभग नौ लोगों की हत्याएं हो चुकी थी खुद
उसके सगे भाई की जीतन की भी हत्या हो चुकी
थी अब अब उसकी भी हत्या हो चुकी थी और जो पुलिस को
मुखबिर से सूचना मिली थी पुलिस ने जब मौके
पर जाकर उस गड्ढे को खुदवा या तो 10 फुट
गहरे गड्ढे के अंदर आखिरकार उसकी लाश
मिली जाती है लोगों को लग रहा था कि अब सब
कुछ यहां से शांत हो जाएगा और जैसे ही इस
हत्याकांड के बारे में आरोपी बनाया जाता
है राजीव और उसके साथ काम करने वाली एक
महिला होती है स्वाति सेठी बताया जाता है
कि 10 करोड़ रुपए के आसपास की देनदारी थी
क्योंकि प्रॉपर्टी डीलिंग का ये काम करते
थे और प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करने के
दौरान 10 करोड़ रपए ना देना पड़े और दूसरे
पक्ष पर शायद आरोप लग जाए इसलिए रंजीत
की वह हत्या कर देते हैं पुलिस इस मामले
की जांच करती है और पुलिस की जांच में आता
है कि रंजीत ने राजीव भाटी पर जिस पर
हत्या का आरोप लगा था उसे किसी वजह से चार
या पांच थप्पड़ मारे थे और उस थप्पड़ का
बदला लेने के लिए ही रंजीत की हत्या
कर दी जाती है लेकिन जब मामला यह अदालत
में पहुंचा जाता है तो अदालत पहुंचता है
अक्टूबर 2021 को पता चलता है कि पर्याप्त
सबूत ना मिलने के कारण राजीव भाटी और उसकी
जो सहयोगी हो है स्वाति सेठी वह भी शायद
बाइज्जत बरी हो जाते हैं उसके बाद में
क्या होता है पता नहीं चलता लेकिन 24 साल
बाद हाई कोर्ट का इस चोरे हत्याकांड में
फिर से फैसला आता है हाई कोर्ट की तरफ से
पहले तो इस मामले में बाइज्जत बारी हो
जाते हैं लेकिन मामला जब हाई कोर्ट में
पहुंचता है तो उसमें 10 लोगों को उम्र कैद
की सजा सुनाई जाती है और दो लोगों को
आजीवन कारवास की सजा सुनाई जाती है
आखिरकार आज भी इस मामले की जो पैरवी कर
रहे हैं वोह रिसाला सिंह के पोते होते हैं
जिनका नाम सतीश होता है और वो
सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाते हैं यह
कहने के लिए कि जो इन्हें सजा मिली है
यानी कि 10 लोगों को उम्र कैद और दो लोगों
को आजीवन कारावास.
वो कहते हैं कि जिस तरह इन्होंने हत्याकांड को चौरे हत्याकांड
को अंजाम दिया था या परिवार के और
उन्होंने चार लोगों की हत्या की थी इसी
हिसाब से इन्हें सजा कम मिली है इन्हें
ज्यादा से ज्यादा सजा मिलनी चाहिए इसलिए
वो अभी सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है
शुरुआत में लड़ाई होती है गैर कानूनी रूप
से और एक दूसरे की मूंछों की वजह से एक के
बाद एक कत्ल होते चले जाते हैं दोनों
पक्षों के नौ कत्ल हो जाते हैं रंजीत
का भी कत्ल हो जाता है या कुल मिलाकर 10
के 10 लोग मारे जाते हैं और साथ ही कई
जिंदगियां कई परिवार पूरी तरह से बर्बाद
हो जाते हैं और एक कहानी शुरू होती है ये
बारात चढ़ने से लेकर और पानी
फेंकने के ऊपर जाकर खत्म होती है और उसके
बाद धीरे-धीरे करके यह कहानी आज भी ऐसी
चलती चली जा रही है जब इस
गांव का नाम आता है तो लोगों के अंदर से
सिरहन स पैदा हो जाती है लोग सोचने पर
मजबूर हो जाते हैं कि छोटी सी लड़ाई को
आखिरकार इतने बड़े रूप कैसे दे सकते हैं
काश उस दिन जैसे उस दलित बस्ती की जो
बारात आई थी उन्होंने बर्दाश्त किया था कि
इनके ऊपर पानी डाल दिया ठीक वैसे ही रसाला
सिंह का परिवार या रंजीत सिंह का
परिवार बर्दाश्त कर लेता तो इतने लोग कभी
ना मारे जाते ना केवल लोग मारे गए बल्कि
जो बच्चे थे उनकी पढ़ाइए भी बर्बाद हो
चुकी थी उनकी पढ़ाई भी रुक चुकी थी और
बहुत कुछ उन्हें सहन करना पड़ा था बहुत
सारी चीजों से उन्हें महरूम रहना पड़ा था
तो दोस्तों इस घटनाक्रम को सुनाने का
उद्देश्य किसी को परेशान करना नहीं है
किसी का दिल दुखाना नहीं है बल्कि आपको
जागरूक करना आपको सचेत करना है कि
छोटी-छोटी बातों को लेकर इतना भी तुनक
नहीं होना चाहिए इतना भी दिल पर नहीं लेना
चाहिए जिससे कि पीढ़ी दर पीढ़ी बर्बाद हो
जाए , आशा है कहानी पसंद आई होगी
आप सब लोग अपना ख्याल रखें
सुरक्षित रहे जय हिंद जय भारत